श्रावण मास के पहले सोमवार को सृष्टि के प्रथम शिवलिंग का जलाभिषेक करने उमड़े शिवभक्त 
- भगवान ब्रह्मा ने चित्रकूट में स्थापित किया था प्रथम शिवलिंग
- राजाधिराज के रूप में होती है स्वामी मत्तगजेंद्र नाथ की पूजा

चित्रकूट,10 जुलाई। विश्व प्रसिद्ध पौराणिक तीर्थ के रूप में विख्यात भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में मन्दाकिनी नदी के रामघाट तट पर स्थित सृष्टि के प्रथम शिवलिंग स्वामी मत्तगजेन्द्र नाथ के जलाभिषेक और पूजन के लिए सावन के पहले सोमवार पर देश भर से लाखों शिव भक्तों का जमावड़ा लगा। सुबह से ही श्रद्धालु पतित पावनी मंदाकिनी में आस्था की डुबकी लगा कर लम्बी—लम्बी कतारों में खड़े होकर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक और पूजन कर मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना की। मंदिर और जिला प्रशासन द्वारा चित्रकूट आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।

 चित्रकूट में मंदाकिनी नदी के रामघाट तट स्थित स्वामी मतगजेंद्र नाथ (भगवान शिव) मंदिर का प्राचीन और गौरवशाली इतिहास है। मंदिर के प्रधान पुजारी बिपिन तिवारी इस प्राचीन शिव मंदिर की महिमा का बखान करते हुए कहते हैं कि मान्यता है कि इस मंदिर में विराजमान चार शिवलिंग में से एक शिवलिंग भगवान ब्रह्मा और एक भगवान श्रीराम ने स्थापित किया था। 

 ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना के लिए रामघाट स्थित यज्ञदेवी अखाड़ा में यज्ञ किया था। 108 कुंडीय यज्ञ से मदमस्त हाथी की तरह झूमता हुआ एक शिवलिंग प्रकट हुआ था, जिसकी स्थापना भगवान ब्रम्हा ने मत्तगजेन्द्र नाथ के रूप में रामघाट में की थी और उनको चित्रकूट का क्षेत्रपाल नियुक्त किया था। इसीलिए जब भगवान श्रीराम यहां पर वनवास काटने आए तो उन्होंने चित्रकूट निवास के लिए स्वामी मत्तगजेन्द्रनाथ से आज्ञा ली थी। इसके बाद श्रीराम ने खुद उस शिवलिंग के बगल में एक शिवलिंग की स्थापना की थी। ऐसी मान्यता है कि चित्रकूट आने पर यदि किसी ने मत्तगजेंद्र नाथ के दर्शन नहीं किए तो उसको कामतानाथ के दर्शन और कामदगिरि की परिक्रमा का पूर्ण लाभ नहीं मिलता है।

सावन के पहले सोमवार को रामघाट स्थित राजाधिराज मत्ततगजेंद्र नाथ स्वामी मंदिर में धार्मिक कार्यक्रमों की धूम रही। पूरा रामघाट भगवान भोलेनाथ के जयकारों से गुंजायमान रहा।भस्म आरती के साथ शिव पूजन की शुरुआत हुई।

चित्रकूट के प्रमुख संत दिव्य जीवन दास महाराज और कामदगिरि प्रमुख द्वार के महंत मदन गोपाल दास महाराज ने पौराणिक महत्ता से जुड़े प्राचीन मंदिर की महिमा का बखान करते हुए बताया कि भगवान श्रीराम की वनवास स्थली रही चित्रकूट में अत्यंत प्राचीन ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थलो की भरमार है। 

रामघाट के पास स्थित मत्तगजेंद्र नाथ मंदिर भी अति प्राचीन है। इसमें स्थापित शिवलिंग की महिमा का बखान शिव पुराण के अष्टम खंड के दूसरे अध्याय में है। ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु की आज्ञा पर चित्रकूट के पवित्र पर्वत पर यज्ञ किया था, जिसमें शिवलिंग निकला। वही शिवलिंग मंदिर में स्थापित है। यहां जलाभिषेक करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। 

उन्होंने बताया कि मत्तगजेंद्र नाथ के पूजन करने से सभी मनोरथ पूरे होते हैं। सावन के पहले सोमवार के चलते मंदाकिनी के रामघाट और प्राचीन शिव मंदिर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। 

जिलाधिकारी अभिषेक आनंद ने पुलिस अधीक्षक वृंदा शुक्ला के साथ मंदाकिनी के रामघाट तट स्थित प्राचीन शिव मंदिर का जायजा लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के क्षेत्राधिकारी नगर हर्ष पांडेय और सदर एसडीएम राजबहादुर को दिए हैं। वही सीओ सिटी हर्ष पांडेय सोमवार तड़के फोर्स के साथ मंदिर पहुंचे और व्यवस्थाओं में मुस्तैद हैं।

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